Raat



एक वह रात थी और एक यह रात है

किसी के सोच मी डूबे दोनो हि जगी है
पर कभी आंधी सुहानी सी लगी थी ,
आज चांदनी भी अंजान है
एक वह रात थी और एक यह रात है

मुस्कुराये अंधेरे मे तब भी और अब भी पर बहाने क्या हूए
कभी तनहाई में खयालो की  भीड थी,
आज किसी के साथ में भी तनहाई सी है
एक वह रात थी  और एक यह रात है

इस किताब के पन्ने कोरे से रे है हमेशा
कभी लगा था इसलिये के कहानी कि शुरुवात बाकी थी
आज इसलिये कि कहानी अधुरी सी है
एक वह रात थी  और एक यह रात है...

pic crtsy : google
P.S. I hve always wanted to write in hindi for the love of that language. But this just happened... no deliberate attempts :) Kiran Ma'm will be so proud ! heheh

Comments

  1. हे...खूप भारी....तू ना हळू हळू गझल पण करायला लागशील अशी घनदाट चिन्हे आहेत :D :D :D
    Anyway, with all due respect to your creative spirit...really nice. खूप दिवसांनी तुझी ब्लॉग पोस्ट पाहून आनंद वाटला. असच मस्त लिहीत राहा ....

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